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Muskaan

 उसके  मुस्कान  का  मंज़र  कुछ  ऐसा  है  , जैसे  शांत  समुन्दर  में  उठती  लहरें , काश  उन्हें  ऐसे  ही  देखता  राहू  और  जिंदगी  बस  यु  ही  थम  जाये 

तारीफ़

 मर जाऊं इस कदर तारीफ़ों से ,  रह जाऊं तेरे हर ख्यालों में ,धड़कन में। तेरी दोस्ती मिली मुझे सजदे में, जैसे खुदा की रहमत बरसी तेरे प्यार से।  हर पल एहसास होता है इस ख़ुश्बू का, तेरी हसीं मुस्कान में बसी जन्नत का।

मितभाषी

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 यूँ कम बोलने वालों के अंदर , शब्दों का भण्डार होता है | हलके से जो छू ले मन , तो अंदर का गुबार निकल आता है | अब शांत यूँ ही न रहिये , लम्बी उम्र नहीं होती परवानो की | वक़्त का तज़ुर्बा है , मौसम में बयार हमेशा नहीं रहती। 

बसंत का मौसम

 बसंत का मौसम, फूलों की बहार, फाल्गुन की महक और हवाओं में पराग। पत्तझड़ के साथ नए कोंपलों का उभार हवाओं में खुशकी है, लेकिन मन में उमंग| आसमान सा निश्चल है, जल जैसा निर्मल किसी को प्रीत है, किसी के जिम्मेदारी का बोझ कर्तव्यबोधयुक्त प्रेम का है यही संगर्ष |