मितभाषी

 यूँ कम बोलने वालों के अंदर ,

शब्दों का भण्डार होता है |

हलके से जो छू ले मन ,

तो अंदर का गुबार निकल आता है |

अब शांत यूँ ही न रहिये ,

लम्बी उम्र नहीं होती परवानो की |

वक़्त का तज़ुर्बा है ,

मौसम में बयार हमेशा नहीं रहती। 

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